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जादुई मोती

सुदूर पर्वतों के बीच बसा एक छोटा सा गाँव था, जिसका नाम 'चाँदपुर' था। इस गाँव की खासियत थी कि यहाँ की हर चीज अनोखी थी। यहाँ के लोग कहते थे कि गाँव के पास एक गुप्त गुफा में एक जादुई मोती छिपा हुआ है। इस मोती के बारे में कहा जाता था कि जो इसे पा लेता है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है।

आरव, एक साहसी युवक, हमेशा से रहस्यों और रोमांच की तलाश में रहता था। उसने जादुई मोती की कहानियाँ सुन रखी थीं। एक दिन उसने ठान लिया कि वह इस मोती को खोजकर रहेगा। उसने अपनी तैयारी शुरू की और गुफा की खोज में निकल पड़ा।

गुफा ढूंढने का सफर आसान नहीं था। उसने गाँव के बुजुर्गों से गुफा के बारे में पूछताछ की, पर किसी ने स्पष्ट जानकारी नहीं दी। आखिरकार, एक दिन उसे एक बूढ़ा साधु मिला, जिसने उसे गुफा का रास्ता बताया। साधु ने चेतावनी भी दी, "गुफा में जाना आसान है, लेकिन मोती को पाना बहुत मुश्किल। उस मोती की रक्षा शक्तिशाली पहरेदार करते हैं।"

आरव साधु की बात सुनकर तैयार हो गया। जब वह गुफा में पहुँचा, तो वहाँ का माहौल डरावना था। गुफा में घुसते ही उसने देखा कि वहाँ कई जाल और पहेलियाँ थीं। पहली पहेली थी, "तुम्हारे पास तीन रास्ते हैं। एक रास्ता सही है, बाकी मौत की ओर ले जाते हैं।" आरव ने अपनी बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल किया और सही रास्ता चुना।

आगे बढ़ते हुए, उसने देखा कि एक विशाल अजगर गुफा की रक्षा कर रहा था। अजगर ने उसे देखकर गुर्राते हुए कहा, "अगर तुम यहाँ से आगे जाना चाहते हो, तो मुझे यह बताओ कि सबसे मूल्यवान चीज क्या है।"

आरव ने सोचा और फिर जवाब दिया, "सबसे मूल्यवान चीज जीवन है, क्योंकि इसके बिना कुछ भी संभव नहीं।"

अजगर ने उसकी परीक्षा को स्वीकार किया और उसे आगे जाने दिया।

गुफा के अंत में एक चमचमाती रोशनी थी। वहाँ एक सोने के पेडestal पर जादुई मोती रखा था। जैसे ही आरव ने मोती उठाया, गुफा हिलने लगी। एक गूंजती हुई आवाज आई, "यह मोती तुम्हारी हर इच्छा पूरी करेगा, लेकिन इसके साथ एक शर्त है - हर इच्छा पूरी करने के बाद तुम्हें किसी और की मदद करनी होगी। अगर तुम यह नियम तोड़ोगे, तो मोती तुम्हें बर्बाद कर देगा।"

आरव ने सिर हिलाकर सहमति जताई और गुफा से बाहर निकल आया। उसने मोती को ध्यान से अपनी जेब में रखा और वापस गाँव लौट आया।

पहले ही दिन, आरव ने मोती से अपनी पहली इच्छा मांगी, "मैं अमीर बनना चाहता हूँ।" अगले ही दिन उसके घर सोने और चाँदी से भर गए। उसे याद आया कि उसे किसी की मदद करनी होगी। उसने अपने गाँव के गरीब परिवारों को धन बाँट दिया।

धीरे-धीरे, आरव की इच्छाएँ बढ़ने लगीं। उसने नाम, शोहरत और सुख-सुविधाओं की माँग की। हर बार वह मोती से अपनी इच्छाएँ पूरी करवाने के बाद किसी न किसी की मदद करता रहा। लेकिन समय के साथ, वह यह समझने लगा कि उसकी इच्छाएँ उसे स्वार्थी बना रही थीं।

एक दिन, उसने मोती से माँगा, "मैं पूरी दुनिया का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बनना चाहता हूँ।" मोती ने उसकी यह इच्छा पूरी कर दी, लेकिन इसके साथ ही उसने आरव को एक असंभव कार्य दिया। उसे किसी ऐसे व्यक्ति की मदद करनी थी, जो समाज द्वारा पूरी तरह भुला दिया गया हो।

आरव ने कई दिनों तक ऐसे व्यक्ति को ढूंढा, लेकिन उसे कोई नहीं मिला। आखिरकार, वह साधु के पास गया, जिसने उसे गुफा का रास्ता दिखाया था। साधु ने कहा, "तुम्हें अपनी सबसे बड़ी इच्छा त्यागनी होगी और उस शक्ति का उपयोग दुनिया की भलाई के लिए करना होगा।"

आरव ने अपनी गलती समझी। उसने मोती को साधु को लौटा दिया और वादा किया कि वह अपनी ताकत और संसाधनों का उपयोग दूसरों की मदद के लिए करेगा।

उस दिन के बाद, आरव ने अपनी इच्छाओं को त्याग दिया और एक नया जीवन शुरू किया। उसने मोती से मिली सारी संपत्ति और शक्ति का उपयोग जरूरतमंदों की मदद करने में किया। जादुई मोती अब उसके पास नहीं था, लेकिन उसने जो सीख हासिल की, वही उसकी असली दौलत थी।

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